अग्नि वर्षा का देते थे झांसा-ग्रामीणों ने पहरा देकर फांसा
शैतानी शक्ति का खौफ दिखाकर ग्रामीणों को ठगने की योजना बनाई थी 13 साल के संतोष साहू ने छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले का एक गांव जहां पर रोज रात को पैरावट में आग लग रही है और सारे ग्रामीण परेशान हैं। आखिर ये क्या हो रहा है? पिछले दो माह से ऐसा कोई दिन खाली नहीं जा रहा है जब ऐसा नहीं हो रहा है। एक तरफ पैरावट में आग लग रही है तो दूसरी तरफ गांव के कुत्तों की मौत पर मौत हो रही है। ग्रामीण परेशान हैं और उनको लग रहा है कि किसी शैतानी शक्ति का साया गांव पर पड़ गया है। ऐसे में एक नहीं कई तांत्रिकों का सहारा लिया जाता है, इसी के साथ वैज्ञानिकों और प्रोफेसरों का दल भी गांव का दौरा करता है, पर हरकतें बंद नहीं होती हैं। सांसद से साथ पुलिस से भी मदद की गुहार लगाई जाती है, पुलिस के पहरे के बाद भी कुछ नहीं हो पाता है। ऐसे में एक पत्रकार इस घटना की सच्चाई जानने गांव जाता है और सारी घटना को समझने के बाद उस पत्रकार को संदेह होता है कि इस घटना के पीछे दो नाबालिग बच्चों का हाथ है और वह अपना यही संदेह अपने अखबार में जता देता है। इस खबर के बाद ग्रामीण सचेत होते हैं और रात को चुप-चाप पहरा दिया जाता है। पहरे का लाभ मिलता है और राकेट के बहाने अग्नि वर्षा होने की बात गांव भर में फैलाने वाला 13 साल का संतोष साहू अपने साथी 14 साल के जितेन्द्र साहू के साथ पकड़ा जाता है। इसके बाद राज खुलता है कि यह महज 13 साल का बच्चा इतना शातिर है कि गांव वालों को शैतानी शक्ति का डर दिखाकर लाखों रुपए कमाने की जुगत में था। संतोष अपने को बहुत बड़ा तांत्रिक साबित करना चाहता था।
छत्तीसगढ़ के गांवों में तंत्र-मंत्र का ज्यादा बोलबाला है और भोले-भाले ग्रामीण शैतानी शक्तियों से बहुत ज्यादा खौफ खाते हैं। गांव का रिश्ता टोनही और न जाने किस-किस तरह की शैतानी शक्तियों से होता है। अब शैतानी शक्तियां होती हैं या नहीं होती है, यहां पर वह मुद्दा नहीं है। यहां पर बात हो रही है कि किस तरह से एक गांव में महज 13 साल का एक शातिर बच्चा संतोष साहू गांव वालों में शैतानी शक्ति की दहशत पैदा करके लाखों रुपए कमाना चाहता था। धमतरी जिले के ग्राम अरौद में संतोष ने ऐसी दहशत फैला रखी थी कि सारे ग्रामीण परेशान थे। संतोष ने तंत्र-मंत्र से लाखों रुपए कमाने की योजना बनाई और इस योजना में एक और लड़के जितेन्द्र और उसके पिता बंसत साहू को शामिल कर लिया। इसके बाद प्रारंभ हुआ राकेट से अग्नि वर्षा का खेल। संतोष के साथ बंसत रोज सुबह को गांव भर में यह ढिढ़ोरा पिट देते थे कि आज पैरावट में आग लगने वाली है। संतोष यह भी बताता था कि आज कितने पैरावट में आग लगेगी। वह अगर कहता था कि पांच पैरावट में आग लगेगी तो उतने में ही आग लगती थी। वह जिस दिशा के पैरावट के बारे में बताता था, उसी दिशा में आग लगती थी। योजना के मुताबिक वह जितने पैरावट और जिस दिशा के पैरावट की बात करता था उनमें रात को आग लगाने का काम जितेन्द्र करता था। आग लगाने का काम फटाकों वाले एक अलग किस्म के राकेट से किया जाता था ताकि ग्रामीणों को लगे कि आसमान से आग बरस रही है जिसके कारण पैरावट में आग लग रही है। जितेन्द्र ही आग लगाने के बाद गांव में हल्ला करता था कि आग लग गई। इसी के साथ वह यह भी बताता था कि आसमान से जलता हुआ राकेट गिरा जिससे आग लगी है।
गांव में यह घटनाक्रम प्रारंभ हुआ तो पूरा गांव वाले परेशान हो गए। इस आफत से मुक्ति के लिए सबसे पहले संतोष साहू ने ही ग्रामीण से कहा कि वह इससे मुक्ति दिला सकता है, पर इसके लिए पांच लाख रुपए खर्च करने पड़ेंगे। पर ग्रामीण इतनी बड़ी रकम खर्च नहीं करना चाहते थे। ऐसे में ग्रामीणों ने कई तांत्रिकों और ओझाओं का सहारा लिया पर किसी भी तांत्रिक या ओझा को यह बात समझ ही नहीं आई कि आखिर ये सब कैसे हो रहा है। अगर वास्तव में किसी शैतानी शक्ति की करतूत होती तो कुछ पता चलता, पर यह तो सब इंसानी दिमाग की खुरापात थी। ऐसे में सांसद चंदुलाल साहू के साथ कुछ वैज्ञानिकों और प्रोफेसरों का भी सहारा लिया गया। पर बात नहीं बनी किसी की समझ में यह बात आ ही नहीं रही थी कि आखिर ये घटनाएं कैसे हो रही हैं। पुलिस और जिलाधीश से शिकायत के बाद दिन-रात गश्त भी की गई, पर कोई फायदा नहीं हुआ। गांव वालों ने गायत्री यज्ञ भी किया, पर नतीजा वहीं शून्य रहा। गांव वाले इससे और ज्यादा दहशत में आ गए कि आखिर वे करें तो क्या करें। इधर संतोष साहू ने फिर से एक बार गांव वालों से कहा कि वह इस सारी घटना से मुक्ति दिला सकता है इसके लिए पांच लाख का खर्च आएगा। संतोष साहू ने गांव वालों को शैतानी शक्ति का यकीन दिलाने के लिए गांव के 22 कुत्तों को जहर देकर मार डाला था। कुत्तों को मारने के दो कारण थे, एक तो यह कि जब भी जितेन्द्र पैरावट में आग लगाने जाता था तो कुत्ते भोंकते थे। ऐसे में उनको पकड़े जाने का खतरा था, दूसरे कुत्तों को मारकर वे लोग गांव वालों को यकीन दिलाना चाहते थे कि यह सब शैतानी शक्ति का काम है। संतोष साहू और जितेन्द्र साहू इतने ज्यादा शातिर थे कि वे भी शैतानी शक्ति का रहस्य जानने वाले उन ग्रामीण के साथ रहते थे जो रात को पहरा देते थे। वे सबकी नजरें बचाकर पैरावट में आग लगा देते थे। ऐसे में उन पर कोई संदेह ही नहीं करता था।
जब गांव वालों को कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था ऐसे में एक धमतरी के पत्रकार ने गांव का दौरा किया और सारे हालात को जानने के बाद उनको संदेह हुआ कि इस घटना के पीछे संतोष साहू का हाथ हो सकता है। हालांकि उसकी उम्र को देखते हुए ऐसा लग नहीं रहा था, पर पत्रकार ने अपनी खबर में यह संदेह जता दिया। तब हर तरफ से निराश हो चुके ग्रामीणों ने इस दिशा में भी सोचते हुए रात को चुप-चाप पहरा देने का विचार किया और जैसे ही रात को चुप-चाप पहरा दिया गया तो पैरावट में आग लगाने वाला जितेन्द्र पकड़ में आ गया और इसी के साथ यह बात भी सामने आ गई कि इस सारे शैतानी खेल के पीछे महज 13 साल के संतोष साहू का दिमाग काम कर रहा था। संतोष ने पैसों का लालच देकर जितेन्द्र और उसके पिता बंसत साहू को भी अपने साथ मिला लिया था। संतोष की, की गई भविष्यवाणी को बंसत ही गांव भर में फैलाने का काम करता था। इन तीनों को पुलिस के हवाले कर दिया गया है। इस तरह से एक पत्रकार की सुझबुझ के कारण एक अनदेशी शैतानी शक्ति का खुलासा हुआ तो मालूम हुआ कि यह शैतानी शक्ति नहीं बल्कि इंसानी शक्ति है जो शैतानी शक्ति का रूप लेकर ग्रामीणों को डराकर ठगने का काम करने वाली थी।
11 टिप्पणियाँ:
अपने देश के लिए यह दुर्भाग्यजनक है कि 13 साल का लड़का तांत्रिक बनने के लालच में इतनी शैतानी कर रहा था। पैसे के लालच की बात भी आपने बताई है। समझ में नहीं आता की आज की पीढ़ी कहां जा रही है।
बधाई का पात्र है वह पत्रकार जिसने ग्रामीणों को मुसीबत से निकालने का काम किया, ऐसे पत्रकार का सम्मान करना चाहिए।
पत्रकार को साधुवाद और ग्रामीण की सुझबूछ को सलाम करते हैं
टोना-टोटका के नाम पर अपने यंहा जो न हो वो कम है राजकुमार,पता नही कब अकल आयेगी लोगो को।रुपया डबल करने वाले आये दिन किसी न किसी को टोपी पहना ही रहे हैं। हर बार खबर लिखी जाती है मगर सिलसिला रूकता नज़र नही आता।
आपका यह लेख इस बात को साबित करता है कि शैतानी शक्ति का काम भी इंसानी दिमाग करता है। काफी अच्छा लेख है बधाई।
तंत्र-मंत्र के चक्कर में पडऩे वाले बर्बाद हो जाते हैं।
चलो जी, तंत्र की असलियत तो सामने आई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
महज 13 वर्ष के बच्चे की पैसे के प्रति लालच और उसे पूरा करने के लिए की गयी योजना को देखकर आनेवाली पीढी में हो रहे नैतिक मूल्यों के पतन का अनुमान लगाया जा सकता है .. इस गल्ती के लिए बच्चे की ही नहीं .. वर्तमान समाज को दोष दिया जा सकता है .. यदि यही दिमाग सकारात्मक कार्यों में लगाया जाए तो क्या सफलता नहीं मिलेगी ? हां , कुछ अधिक समय तो देना ही होगा।
इस खबर /रिपोर्ट के किये आपको बधाई और शुक्रिया भी !
nice.
हामारा समाज अशिक्षा और पिछड़ेपन की गिरफ़्त में इस प्रकार फँसा हुआ है कि ऐसी बेतुकी बातों पर सहज विश्वास कर लेता है। यह भी एक आँखें खोलने वाला उदाहरण है।
पत्रकार को साधुवाद। आपको शुक्रिया।
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