महात्मा गांधी की मां का नाम क्या है?
मोहनदास करमचंद गांधी यानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपना देश लगता है भूलता ही जा रहा है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के जिस समाचार पत्र दैनिक हरिभूमि में हम काम करते हैं, कुछ समय पहले उसके संपादक की पहल पर राजधानी के कॉलेजों के प्रोफेसरों के साथ शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों के अलावा और कई विभागों के अफसरों से एक सवाल किया गया था कि महात्मा गांधी की मां का नाम क्या है? अफसोस 99 प्रतिशत लोगों को यह मालूम ही नहीं है कि महात्मा गांधी की मां का नाम क्या है। एक प्रोफेसर ने काफी संकोच के साथ उनका नाम बताया था जो कि सही था। एक तरफ पुरानी और युवा पीढ़ी को जहां महात्मा गांधी की मां का नाम मालूम नहीं है, वहीं छोटे बच्चों को जरूर यह मालूम है। अंग्रेजी माध्यम में पढऩे वाले बच्चे भी नाम जानते हैं। हमने छठी क्लास में पढऩे वाली अपनी बिटिया स्वप्निल से ही पूछा तो उसने तपाक ने नाम बना दिया। अब देखने वाली बात यह है कि हमारी ब्लाग बिरादरी के कितने लोग यह जानते हैं कि महात्मा गांधी की मां का नाम क्या है। अगर आप जानते हैं तो जरूर बताएं।
13 टिप्पणियाँ:
मुन्नाभाई एमबीबीएस से पूछिये वो अपनी पुतली नचाते हुये फ़ट से जबाब दे देगा।
स्कूल में महात्मा गांधी के निबंध में पढ़ा जरूर है, पर याद नहीं आ रहा है कि महात्मा गांधी की माता का नाम क्या है। चलिए कोई न कोई तो बता ही देगा।
अफसोस जनक है कि कॉलेज के प्रोफेसरों को भी महात्मा गांधी की मां का नाम मालूम नहीं है। हम कॉलेज के प्रोफेसर तो नहीं है, इसलिए हमें इस बात की शर्म नहीं है कि हमें नाम मालूम नहीं है। हम इस बात को मानते हैं कि हमें नाम मालूम नहीं है। कृपया नाम जरूर बताएं ताकि हमारे ज्ञान में भी इजाफा हो सके।
बचपन में तो याद ही था --आदरणीया पुतली बाई
अब आप बताओ कि हमने गलत बताया या सही
मित्र नाम तो हम जरूर बता ही देंगे, लेकिन पहले अपनी ब्लाग बिरादरी के मित्रों के साथ ब्लाग पढऩे वाले पाठकों से जो जान लें कि वे नाम जानते हैं या नहीं।वैसे अनूप जी ने अपनी टिप्पणी में एक इशारा किया है समझदार समझ जाएँगे और हो सकता है उनको नाम सूझ जाए और नाम का खुलासा हो जाए। अनूप जी ने नाम का संस्पेस कायम रखने के लिए ही साफ-साफ नाम नहीं बताया है।
Sachmuch nahin malum tha. Eedhar oodhar se dhundhe to mila "Putli Bai".
Afshosh ki baat hai.
गांधी के वंशजों का इतना इम्तिहान न लो।
माता पुतलीबाई की पवित्र कोख से ही
हमारे प्यारे बापू ने जन्म लिया था।
एक बार मैने भी लोगों का जी.के.टेस्ट करने के लिये यही सवाल पूछा था कई पढे लिखे लोगों ने बेधडक कहा...कस्तूरबा
भई हमें तो पता है ।
सुन कर पुतली तो हमारी भी झपकी!!
कल से यह पोस्ट ब्लागवाणी पर शीर्ष पर थी किन्तु नही जाना हो पाया, आज चिट्ठाचर्चा से आया हूँ। काफी अच्छा लगा आपका यह ब्लाग और उससे अच्छा आपका यह प्रश्न, आज कई लोग होगे जिन्हे सुभाष बाबू, रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह के नाम नही पता होगे। कम से कम पाठ्य क्रम में ऐसी चीजे जोड़ी जाये जिससे बेटे के कारण माँ बाप का नाम तो रौशन हो।
अब महात्मा गान्धी को भी क्या कहें! गलती उन्हीं की है। वो अपने आगे-पीछे अपने पिताजी का नाम ही लपेटे रहे। उन अफसरों का भी क्या कसूर? यदि उन्होंने अपना पूरा नाम ‘मोहनदास पुतलीबाई करमचन्द गान्धी’ रख लिया होता तो क्या उनका कद छोटा हो जाता? या पद छोटा हो जाता? उनकी यह भूल आज कितनों की फजीहत करा रही है।
rachna ji aur udan tashtari ji se
mera anurodh hai ki wo is tarha ki
tippaniyon se bhche rahein to log
unke bare mein bhi acchi ray bana payenge. Doston Mahatma Gandhi koi esa naam nahin jise bharat mein to kya world mein introduction ki jarooorat ho. rahi baat kad chota hone ki to unko kad aur pad ki itni hi lalsa hoti to wo azadi ke liye apne sabhi prakar ke sukhon ko nahin Tyagte. Aur ek baat aur mahodaya aaj aap jo apni betuki ray de rahi hain wo bhi unhi ki badolat hai ki appko bolne ka adhikar hai.
ishwar aapke saath hai
एक टिप्पणी भेजें