मकड़े भी तोहफों के जाल में जकड़े
किसी भी खुशी के मौके पर किसी को तोहफा देना हमेशा से इंसानी फितरत में शामिल रहा है। लेकिन कीड़े-मकाड़ों में भी ऐसा प्रचलन हो सकता है, यह जानना आश्चर्य का विषय है। लेकिन एक शोध से यह बात सामने आई है कि अपने स्पाइडरमैन यानी मकड़े साहब भी कम बड़े प्रेमी नहीं होते हैं। वे अपनी प्रेयसी को लुभाने के लिए तोहफे देने का काम करते हैं। उनके तोहफों से प्रेयसी मोहित भी हो जाती है। लेकिन प्रेयसी यानी मकड़ी तोहफे के कीमती होने पर नहीं बल्कि उस तोहफे को सजाने के लिए खर्च की गई ऊर्जा पर फिदा होती है।
अब तक तो सब यही जानते हैं कि अपनी प्रेयसी या पत्नी को खुश करने के लिए लोग एक से बढ़कर एक तोहफे देते रहे हैं। बड़े-बड़े उद्योगपति अपनी पत्नियों को करोड़ों के बंगले और जड़ाऊ नेकलेश और न जाने क्या-क्या देते रहे हैं। कई लोग ज्यादा कीमती तोहफे देकर अपना नाम भी शाहजहां की तरह अमर करने की जुगत में रहते हैं। इस दुनिया में सच्चे प्यार की निशानी के रूप में ही ताजमहल को देखा जाता है। ताजमहल को भी एक तोहफे के रूप में मुमताज को शाहजहां ने पेश किया था। उन्हें मुमताज से कितनी मोहब्बत थी वो इस बात से ही मालूम होता है कि उन्होंने फिर कोई दूसरा ताजमहल न बना सके इसलिए इसका निर्माण करने वालों के हाथ ही कटवा दिए थे। और आज तक कोई दूसरा ताजमहल बन भी नहीं पाया। ऐसे में हर इंसान चाहता है कि वह भी अपनी प्रेयसी के लिए ऐसा कुछ करे कि उसे लगे कि वास्तव में उसका प्रेमी उसको कितना चाहता है।
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने ही एक शोध करके इस बात का पता लगाया है कि मकड़ी तोहफे की कीमत पर नहीं जाती बल्कि उनके अनोखेपन पर जाती है। मकड़े सिल्क के धागों को इस सलीके से लपेट कर देते हैं कि मकड़ी इसके लिए की गई मेहनत पर ही फिदा हो जाती है।
यह तो बात रही इंसानों की, लेकिन जीव-जतुंओं में भी ऐसा प्रचलन हो सकता है यह सोचना अचरज की बात है। लेकिन कम के कम मकड़ों के बारे में यह जानकारी सामने आई है कि वे अपनी प्रेयसी के लिए तोहफे देने का काम करते हैं। मकड़े अपनी प्रेयसी को वो वस्तु तोहफे में देते हैं जिसके बारे में वे जानते हैं कि यह मकड़ी रानी को पसंद है। इन पसंदीदा वस्तुओं में पहले नंबर पर सिल्क के धागे हैं। वैसे भी धागे ही तो इन मकड़ों और मकडिय़ों की पहली पसंद होते हैं।एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने ही एक शोध करके इस बात का पता लगाया है कि मकड़ी तोहफे की कीमत पर नहीं जाती बल्कि उनके अनोखेपन पर जाती है। मकड़े सिल्क के धागों को इस सलीके से लपेट कर देते हैं कि मकड़ी इसके लिए की गई मेहनत पर ही फिदा हो जाती है। यानी देखा जाए तो यहां पर प्यार का मामला है। कम से कम सच्चे प्यार में तोहफे की कीमत नहीं देखी जाती है। लेकिन आज के दिखावटी प्यार में जरूर तोहफा कीमती होना चाहिए ताकि प्रेयसी उस तोहफे का प्रदर्शन कर सके कि उसको कितना कीमती तोहफा मिला है। ऐसा प्रदर्शन करने वालों को मकड़े और मकड़ी की मोहब्बत से सबक लेना चाहिए कि तोहफे की कीमत नहीं बल्कि तोहफा देने की नीयत कैसी है वह मायने रखती है।
7 टिप्पणियाँ:
मकड़े भी तोहफों के जाल में जकड़े.. वाह-वाह क्या खूब लिखा है मित्र
क्या मकड़े भी शाहजहां बनना चाहते हैं गुरु
औरत तोहफों की नहीं बल्कि अपने साथी के प्यार की तलबगार होती है
प्यार-मोहब्बत करने का अधिकार तो सबको है फिर चाहे वे मकड़े हो या फिर कीड़े-मकोड़े, इनका प्यार इंसानों की तरह स्वार्थी तो नहीं होता।
तोहफे की कीमत नहीं तोहफा देने वाली की नीयत देखनी चाहिए, यह बात सो सोलह आने सच कही है आपने
तोहफों के बिना किसी को खुश भी कैसे किया जा सकता है।
अच्छी जानकारी दी आपने आभार
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