रणजी खेलकर ही एक पीढ़ी तर सकती है
क्रिकेट में आज कितना पैसा आ गया है इसका सबूत इस बात से भी मिलता है कि कहा जा रहा है कि अगर कोई खिलाड़ी महज रणजी में खेल लेता है तो उसकी एक पीढ़ी तर सकती है। इस बात का खुलासा पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी राजेश चौहान ने किया है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि किसी खेल में अगर आज सबसे ज्यादा पैसा है तो वह क्रिकेट है। ऐसे में हर कोई आज क्रिकेटर ही बनना चाहता है। लेकिन यहां पर दुर्भाग्य यह है कि हर कोई बिना मेहनत किए ही मंजिल तक पहुंचने का सपना देखता है। आज के खिलाडिय़ों में मेहनत करने का जज्बा ही नहीं है।
राजधानी रायपुर में रियाज अकादमी के एक कार्यक्रम में आए राजेश ने नवोदित खिलाडिय़ों को यह बात बताते हुए कहा कि कहा कि पहले की तुलना में आज खिलाडिय़ों के लिए मौके बहुत हैं। अगर खिलाड़ी गंभीरता से खेल पर ध्यान दें और अगर उनको रणजी में ही खेलने का मौका मिल जाए तो रणजी में ही आज इतना पैसा हो गया है कि रणजी खेलकर ही आपकी एक पीढ़ी तर सकती है। राजेश चौहान का कहना है कि छत्तीसगढ़ में क्रिकेटरों के लिए सुविधाओं की कोई कमी नहीं है इसके बाद भी करीब दो दशक से यहां से कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं निकला है जिसको भारतीय टीम में स्थान मिल सकता। खिलाडिय़ों के न निकलने का एक सबसे बड़ा कारण यही नजर आता है कि आज खिलाड़ी उतनी मेहनत नहीं करना चाहते हैं जितनी मेहनत की जरूरत भारतीय टीम के दरवाजे तक जाने के लिए लगती है।
श्री चौहान ने कहा कि यहां पर सबसे वरिष्ठ खेल पत्रकार राजकुमार ग्वालानी भी बैठे हैं। मैं उनसे ही पूछता हूं कि क्या मैं गलत कह रहा हूं। क्या आज उनको यह महसूस नहीं होता है कि छत्तीसगढ़ के क्रिकेट में एक शून्य आ गया है। उन्होंने कहा कि मुझे याद है जब हम खेलते थे और कुछ भी गलत कह देते थे तो ग्वालानी जी उसको छापने से पीछे नहीं हटते थे। लेकिन आज जो क्रिकेट में शून्य आ गया है उसके बारे में वे ही कितना लिखते रहेंगे। इस शून्य को भरने के लिए आज जरूरत है मेहनत करने की।
उन्होंने मंच की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यहां पर 70 के दशक में छत्तीसगढ़ से राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले महमूद हसन जैसे खिलाड़ी बैठे हैं। इसी के साथ गंगाराम शर्मा, केविन कास्टर अनिल नचरानी जैसे खिलाड़ी हैं जो खिलाडिय़ों को प्रेरणा देते हैं। मैं 80 के दशक में भारतीय टीम में आया। इसके बाद से ही छत्तीसगढ़ में क्रिकेट शून्य में चला गया है। यहां का कोई भी एक खिलाड़ी ऐसा नजर नहीं आता है जिससे यह उम्मीद की जा सके कि वह भारतीय टीम के दरवाजे तक जा सकता है। उन्होंने याद करते हुए कहा कि जब हम लोग खेलते थे, उस समय में उतनी सुविधाएं भी नहीं थी, लेकिन हम लोग आगे बढ़े तो इसके पीछे सबसे बड़ा कारण था कि हम लोग लगातार मैदान पर मेहनत करते थे। हम लोगों में एक जुनून था कि हमें भारतीय टीम तक पहुंचना है। लेकिन आज ऐसा जुनून किसी खिलाड़ी में नजर ही नहीं आता है। उन्होंने कहा कि अगर सुविधाएं मिलने से ही सफलता मिल जाती तो हर पैसे वाले घर का लड़का या लड़की वह सब हासिल कर लेते जो वे करना चाहते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है सुविधाओं से ज्यादा महत्व आपकी सोच और मेहनत का है। श्री चौहान ने यह भी कहा कि आज सीनियर खिलाड़ी मैदान में भी नहीं आते हैं। जूनियर खिलाडिय़ों को प्रेरणा देने वालों की भी कमी है।
उन्होंने रियाज अकादमी को सलाह दी कि वे बाहर के खिलाडिय़ों के लिए एक छात्रावास की व्यवस्था करके अकादमी का बड़े पैमाने पर विस्तार करने का काम करें। उन्होंने इसी के साथ कहा कि अकादमी को दो-तीन स्कूलों के साथ अनुबंध करके अकादमी के खिलाडिय़ों को वहां शिक्षा दिलाने काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज खेल से ज्यादा महत्व पालक पढ़ाई को देते हैं ऐसे में पढ़ाई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। श्री चौहान ने रियाज अकादमी द्वारा एक वेबसाइड बनाने की योजना की तारीफ करते हुए कहा कि इस वेबसाइट को ऐसा बनाना चाहिए जिसमें प्रदेश की सारी अकादमियां आ जाएँ। उन्होंने सभी अकादमियों को जोड़कर एक बेवसाइड बनाने की सलाह दी। इसी के साथ यह भी कहा कि अकादमियों के बीच अंतर अकादमी चैंपियनशिप बनाने की योजना अच्छी है, इसकी शुरुआत जल्द करनी चाहिए। जितने ज्यादा मैच खेलने के लिए खिलाडिय़ों को मिलेंगे उतना ही खिलाडिय़ों का फायदा होगा। उन्होंने महमूद हसन द्वारा रियाज अकादमी को अपनी टीम बनाने की सलाह का उल्लेख करते हुए कहा कि टीम बनाकर उनको मैच खेलने बाहर भेजना चाहिए। उन्होंने बताया कि वैसे मेरी अकादमी में रियाज अकादमी की टीम पिछले साल मैच खेलने आई थी।
9 टिप्पणियाँ:
छत्तीसगढ़ में क्रिकेट के शून्य में जाने का एक कारण छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ को लंबे समय तक मान्यता न मिलना भी रहा है।
पढ़ाई के महत्व से इंकार कैसे किया जा सकता है। खेल से कुछ हासिल नहीं होता यह मानसिकता आज भी अधिकाश परिवारों में है। इस मानसिकता तो तोडऩा जरूरी है।
चलो रणजी ही खेल लेते हैं गुरु
लगता है रणजी खेलकर करोड़पति बनने का सपना साकार किया जा सकता है।
सही बात कही, इस शून्य को भरने के लिए ठोस प्रयत्नों की आवश्यकता है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
मेहनत तो सफलता के लिए जरूरी ही होती है।
अच्छी जानकारी दी आपने आभार
सही बात है, क्रिकेट में आज पैसा है तो प्रतिस्पर्धा भी उतनी ही है, ऐसे में म्हणत और भी ज्यादा चाहिए.
म्हणत = मेहनत (भूल सुधार)
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