मासूम बहन को भी नहीं छोड़ा बलात्कारी चचेरे भाईयों ने
बलात्कार करने वाले कितने बड़े दरिंदे होते हैं इसके कई उदाहरण मिलते रहते हैं। ऐसा ही एक भयानक उदाहरण उत्तर प्रदेश में सामने आया है जब चचेरे भाईयों के पास एक बहन को गिरवी के तौर पर रखा गया तो उन्होंने उस 11 साल की मासूम के साथ एक बार नहीं बल्कि लगातार दो माह तक बलात्कार किया। इस घटना के लिए सबसे बड़े जिम्मेदार समाज के वो ठेकेदार हैं जिनके फरमान के कारण उस मासूम को चचेरे भाईयों के पास गिरवी रखा गया था।
उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले के खंडासा गांव में नट जाति का एक लड़का अपने ही समाज की लड़की से प्यार करता था। इनका प्यार दोनों के परिजनों को मंजूर नहीं था, ऐसे में इस प्रेमी युगल ने भागकर शादी करने का फैसला किया और दोनों गांव छोड़कर भाग गए। इस मामले की जानकारी होने पर गांव में लड़की के परिजनों की शिकायत पर पंचायत बुलाई गई। पंचायत ने लड़के के पिता पर जहां 50 हजार रुपए जुर्माना ठोंक दिया, वहीं यह भी फरमान जारी किया कि जब तक लड़का लड़की को लेकर वापस नहीं आता है, लड़के की 11 साल की बहन को उसके चाचा के घर पर गिरवी के तौर पर रखा जाए। पंचायत ने संभवत: यह फैसला इसलिए किया था क्योंकि उसको ऐसा लगा कि लड़की का मामला है ऐसे में लड़की को अपने चाचा के घर पर रखने में परेशानी नहीं होगी। लेकिन पंचायत के इस फैसले का मासूम लड़की के चचेरे भाईयों ने गलत फायदा उठाया और लड़की को अंजान स्थान पर ले गए और उसके साथ लगातार दो माह तक बलात्कार करते रहे। इधर भागे प्रेमी युगल के वापस आने के बाद भी पंचायत का फरमान जारी रहा। ऐसे में जब लड़के के पिता ने मामला पुलिस में दर्ज करवाया तब यह बात सामने आई कि लड़की को जिस चाचा के घर पर बतौर गिरवी रखा गया था, वहां से उसको दूसरे स्थान पर ले जाकर चचेरे भाई बलात्कार करते रहे। पुलिस ने इस मामले में बलात्कार के साथ अपरहरण का मामला दर्ज कर लिया है। लड़की के बयान पर चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। इस मामले से जुड़े पंचायत के सदस्य फरार हो गए हैं।
इस मामले में देखा जाए तो गलती उन समाज के ठेकेदारों की है जो एक प्रेमी युगल को शादी करने की इजाजत नहीं देते हैं। मामला अलग-अलग समाज का होता तो एक बार बात समझ में आती लेकिन एक ही समाज के लड़के और लड़की को शादी की इजाजत देने में क्या परेशानी ? एक तो शादी की इजाजत नहीं दी गई और लड़के और लड़की ने भागकर शादी कर ली तो इधर पंचायत ने एक ऐसा फरमान जारी किया जिसके कारण एक 11 साल की मासूम की जिंदगी ही उजड़ गई। ऐसी और न जाने कितनी घटनाएं होती हैं जो सामने नहीं आ पाती हैं। समाज की गलत परम्पराओं की सूली पर हमेशा महिला की ही बलि ली जाती है। इस घटना ने भी एक बार फिर से यह बात साबित कर दी है कि आज की नारी सबसे ज्यादा असुरक्षित अपने घर-परिवार में ही है।
पति के सामने ही गैंग रेप
मप्र की राजधानी भोपाल की एक घटना सामने आई है कि एक महिला के साथ उसके पति के सामने ही कार में चार युवकों ने गैंग रेप किया। इस दंपति ने रात में इस कार से लिफ्ट मांगी थी। दंपति को कार में लिफ्ट देने के बाद कार में सवार चार युवकों ने महिला के पति पर रिवाल्वर टिका दी और महिला के साथ चलती कार में ही बलात्कार करते रहे। यहां पर सोचने वाली बात है कि उस पीडि़त दंपति को भी सावधानी बरतनी थी। किसी भी अंजान युवकों से रात के समय में लिफ्ट मांगना वैसे भी खतरनाक होता है। ऐसे में उस दंपति को कोई दूसरा साधन देखना था। ऐसा नहीं है कि लोगों को मालूम नहीं है। आज हर अखबार में कहीं न कहीं ऐसी घटनाओं की खबरें छपती रहती हैं। रोज एक नहीं कई महिलाएं और मासूम बच्चियां बलात्कार की शिकार हो रही हैं। ऐसे में और जरूरी हो जाता है कि सावधानी बरती जाए। थोड़ी सी चूक का नतीजा क्या होता है, यह बताने की जरूरत नहीं है। आज लगता है कि समाज का पूरी तरह से पतन हो गया है। यह सबके लिए चिंतन का विषय है कि आखिर बलात्कार जैसे घिनौने अपराध से देश और समाज को कैसे बचाया जाए।
10 टिप्पणियाँ:
कई बार बलात्कार करने वालों के लिए फांसी की सजा की मांग की जाती है। जिस तरह से अपने देश में लगातार बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही है उससे लगता है कि इस पर अंकुश लगाने के लिए ऐसा ही कोई फैसला सरकार को करना चाहिए।
आज समाज में रिश्तों की कोई अहमियत ही नहीं रह गई है। भाई जब बहन को नहीं बख्शता है, बाप बेटी को नहीं छोड़ता है, तो ऐसे में क्या कहा जा सकता है।
बलात्कार करने वालों के लिए बहुत जरूरी है कि कोई ऐसी सजा होनी चाहिए जिससे बलात्कार करने वालों की रूह तक कांप जाए।
वास्तव में समाज किस दिशा में जा रहा है, यह चिंतन का विषय है। लेकिन बलात्कार की मानसिकता वाले लोगों से मुक्ति का उपाय किसी के पास नहीं है।
शर्मनाक ..जितनी निंदा की जाय कम है ..कानूनी प्रक्रिया तेज़ और कठोर करने की जरुरत है.
बलात्कार एक विकृत मानसिकता है जो लाइलाज है।
इस मामले में सभ्यता वग़ैरह की लफ्फाजी छोड़ना ही ठीक है। सिद्ध होने पर एक दण्ड - लिंगोच्छेदन।
समांतर जाति पंचायतों पर भी नकेल डालनी आवश्यक है। इनके नियम और तौर तरीके बर्बर हैं।
किसी से भी लिफ्ट मांगने से पहले यह तो देख लें कि जिनसे आप लिफ्ट ले रहे हैं वो कैसे और कौन लोग हैं। हादसों को आमंत्रित करने से बचने के लिए सावधानी जरूरी है।
पंचायतों के फैसलों पर सरकारी लगाम जरूरी है।
मौत की सजा वाले अपराध खत्म हो गये हैं क्या!?
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