पापी पेट के लिए....
खल्लारी में माता के दरबार में जाने वाली सीढिय़ों के पास बैठा यह सूरदास भरी गर्मी में भी लगातार भजन ही नहीं हर तरह के गाने गाकर वहां आने वालों का मनोरंजन कर रहा था। इस सूरदास को भी बस चाह थी चंद सिक्कों की ताकि वो अपना पापी पेट भर सके। ऐसे में वह ऐसे गानों से भी परहेज नहीं कर रहा था जो गाने आमतौर पर सूरदास गाते नहीं हैं। कुछ युवक इस सूरदास से छत्तीसगढ़ गानों की फरमाइश करके उससे गाने सुन रहे थे।
5 टिप्पणियाँ:
एक भूखा गरीब आदमी और करे भी तो क्या?उन्हें तो कैसे ना कैसे पेट भरना ही है..
भूख जो न करवाए ऊपर से दृष्टिपात..उनसे तो अछा ही है जो आँखें होते हुए भी ..पता नहीं कौन कौन से आप कर रहे हैं..
अब पेट भरना है तो कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा। अगर फिल्मी गानों से पेट भरने का जुगाड़ हो जाए तो सूरदास जी ऐसे गानों का शुक्रिया ही अदा करेंगे।
तस्वीर के साथ उसकी हेडिंग जानदार है, बधाई
क्या शानदार फोटो है..
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