अबे तुम पत्रकार क्या घुटना दिमाग होते हो? - बे-बात पर ही खफा होगा
''राज़''-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
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सभी को नमस्कार करता है आपका *राज*
अबे तुम पत्रकार क्या घुटना दिमाग होते हो?
एक मित्र का फोन आया और उसने एक सवाल दाग दिया कि क्या तुम पत्रकार घुटना
दि...
13 वर्ष पहले
2 टिप्पणियाँ:
सभी जगह यह हाल है।कहीं कम तो कहीं ज्यादा।सभी परेशान हैं।
टिप्पणी नहीं,बस पानी पर एक कविता
प्यास के बारे में कोई बिम्ब खडा करने से बेहतर
मै सीधे सीधे बात करना चाहता हूँ
उस प्यास की
जिसे पानी से बुझाया जाता है
इस दौर में
जहाँ खरीदने की हैसियत रखने वाले लोग
अपना पानी साथ लिये चलते हैं
कितना मुश्किल है
प्यास लिये हुए सफर तय करना
कोई चारा भी तो नहीं
किसीसे कहने लायक बात भी नहीं
उस वक्त जब हमारी तरह
बहुत सारे लोग प्यासे हों
अब इसे 'पानी' कहें या 'जल'
इस बात पर लडने से बेहतर है
इसे हासिल करने की कोशिश करना .
---शरद कोकास
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