छत्तीसगढ़ में तीसरी शताब्दी का शिवलिंग
सिरपुर में मिले पुरातात्विक खजाने के बाद बिलासपुर मार्ग में शिवनाथ नदी के तट पर बसे मनकू द्वीप में भी हो रही खुदाई में पुरातात्विक खजाना मिलने लगा है। वहां खुदाई में तीसरी शताब्दी के शिवलिंग के साथ नंदी के भी मिलने की खबर है। इसके पहले वहां पर पाषाणकाल के औजार मिल चुके हैं।
छत्तीसगढ़ के सिरपुर को एक तरफ जहां विश्व धरोहर में शामिल करवाने की कवायद चल रही है और वहां पर लाल किले की तर्ज पर लाइट एंड साउंड शो करवाने की योजना है, तो दूसरी तरफ अब बिलासपुर मार्ग में शिवनाथ नदी से लगे मनकू द्वीप की खुदाई में कई ऐतिहासिक वस्तुएं मिलने लगी हैं। यहां पर चल रही खुदाई में पाषाणकाल, वैदिक काल से लेकर कल्चुरी काल के इतिहास के अवशेष मिलने की संभावना जताई जा रही है। पूर्व में यहां पर पाषाणकाल के कुछ औजार मिल चुके हैं। अब यहां पर एक तीसरी शताब्दी का शिवलिंग मिला है साथ ही नंदी भी है। इसके मिलने की खबर मिलने पर मनकू द्वीप में लोगों की भीड़ जुटने लगी है, सभी इतने पुराने शिवलिंग के दर्शन करने के लिए उतावले हो गए हैं। द्वीप के बीच से मिले शिवलिंग के बारे में बताया जा रहा है कि यह लगभग तीन फीट का है। साथ में मिला नंदी दो फीट का है। शिवलिंग तो साबूत है जबकि नंदी खंडि़त हो चुका है।
चूंकि यह द्वीप शिवनाथ नदी के तट पर है ऐसे में ऐसा अनुमान है कि यहां पर जरूर शिव का प्राचीन मंदिर रहा होगा जिसकी वजह से नदी का नाम शिवनाथ नदी पड़ा है। मनकू द्वीप में शिवलिंग मिलने के बाद अब और संभावना बढ़ गई है कि यहां पर प्राचीन काल से जुड़ीं कर्इं वस्तुएं मिल सकती हैं। अब तक जो भी वस्तुएं वहां मिली हैं उनकी वहां पर प्रदर्शनी भी लगा दी गई है ताकि बाहर से आने वाले इनको देख सकें। वैसे मनकू द्वीप अब तक ईसाई समुदाय की आस्था का केन्द्र रहा है। बैतलपुर के पास बसे इस द्वीप में हर साल ईसाई समुदाय का एक बड़ा मेला लगता है जिसमें शामिल होने के लिए प्रदेश से ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के ईसाई समुदाय के लोग आते हैं। वैसे इस मेले में हर जाति धर्म के लोग भी जाते हैं लेकिन मेले को ईसाई समुदाय के मेले के नाम से ज्यादा जाना जाता है।
छत्तीसगढ़ के सिरपुर को एक तरफ जहां विश्व धरोहर में शामिल करवाने की कवायद चल रही है और वहां पर लाल किले की तर्ज पर लाइट एंड साउंड शो करवाने की योजना है, तो दूसरी तरफ अब बिलासपुर मार्ग में शिवनाथ नदी से लगे मनकू द्वीप की खुदाई में कई ऐतिहासिक वस्तुएं मिलने लगी हैं। यहां पर चल रही खुदाई में पाषाणकाल, वैदिक काल से लेकर कल्चुरी काल के इतिहास के अवशेष मिलने की संभावना जताई जा रही है। पूर्व में यहां पर पाषाणकाल के कुछ औजार मिल चुके हैं। अब यहां पर एक तीसरी शताब्दी का शिवलिंग मिला है साथ ही नंदी भी है। इसके मिलने की खबर मिलने पर मनकू द्वीप में लोगों की भीड़ जुटने लगी है, सभी इतने पुराने शिवलिंग के दर्शन करने के लिए उतावले हो गए हैं। द्वीप के बीच से मिले शिवलिंग के बारे में बताया जा रहा है कि यह लगभग तीन फीट का है। साथ में मिला नंदी दो फीट का है। शिवलिंग तो साबूत है जबकि नंदी खंडि़त हो चुका है।
चूंकि यह द्वीप शिवनाथ नदी के तट पर है ऐसे में ऐसा अनुमान है कि यहां पर जरूर शिव का प्राचीन मंदिर रहा होगा जिसकी वजह से नदी का नाम शिवनाथ नदी पड़ा है। मनकू द्वीप में शिवलिंग मिलने के बाद अब और संभावना बढ़ गई है कि यहां पर प्राचीन काल से जुड़ीं कर्इं वस्तुएं मिल सकती हैं। अब तक जो भी वस्तुएं वहां मिली हैं उनकी वहां पर प्रदर्शनी भी लगा दी गई है ताकि बाहर से आने वाले इनको देख सकें। वैसे मनकू द्वीप अब तक ईसाई समुदाय की आस्था का केन्द्र रहा है। बैतलपुर के पास बसे इस द्वीप में हर साल ईसाई समुदाय का एक बड़ा मेला लगता है जिसमें शामिल होने के लिए प्रदेश से ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के ईसाई समुदाय के लोग आते हैं। वैसे इस मेले में हर जाति धर्म के लोग भी जाते हैं लेकिन मेले को ईसाई समुदाय के मेले के नाम से ज्यादा जाना जाता है।
8 टिप्पणियाँ:
महत्वपूर्ण जानकारी. संभवतः यह मनकू द्वीक तालागांव से ज्यादा दूर नहीं होगा
अच्छी जानकारी है, आभार
बहुत ही अच्छी जानकारी....है....
अच्छी जानकारी है
जानकारी देने के लिए शुक्रिया।
ऐसी ही नई जानकारियों से अवगत कराते रहे
अच्छी जानकारी है, आभार
लोगों को यह बताना ज़रूरी है कि यहाँ प्राप्त शिवलिंग पुरातात्विक धरोहर है चाहे उस काल में धर्म और कर्मकांड से उसका जो भी सम्बन्ध रहा हो. वर्तमान मे उस प्रदेश विशेष में व्याप्त धर्म के लोग भी इस बात का ध्यान रखें. यह शासन का भी दायित्व है.
एक टिप्पणी भेजें