पोस्ट का नाबाद तिहरा शतक
हमारे एक मित्र ने कल रात को मोबाइल की घँटी बचाई और जब बातों का सिलसिला प्रारंभ हुआ तो उन्होंने कहा कि यार तू कौन से जमाने में जीता है और कौन सी मिट्टी का बना है। बात हमारी समझ में आई नहीं हमने कहां अबे सीधे-सीधे बक न क्या बकना चाहता है। फिर उसने घुमाने वाली कही कि तुम साले सुधर नहीं सकते जैसे कॉलेज के जमाने में थे, वैसे ही अब भी हो। आखिर हो न अलग टाइप के पत्रकार। हमने कहां बहुत हो गया यार सीधे-सीधे बताते हो या हम काट दें मोबाइल। हमारा ऐसा बोलना था कि वो आ गया लाइन पर और उसने जो बात बोली वह बात ठीक तो है, पर हम क्या करें हमारी ऐसी आदत नहीं है कि हम जो करें उसके बारे में बोलें। दरअसल हमारे कॉलेज के वे मित्र हमारे ब्लाग की बात कर रहे थे और उन्होंने ही हमारा ध्यान इस तरफ दिलाने का प्रयास किया कि हमारे ब्लाग राजतंत्र और खेलगढ़ को मिलाकर पोस्ट का नाबाद तिहरा शतक कब का हो चुका है।
हमारे मित्र ने जब यह बात कही तो हमने उससे कहा कि तो क्या हो गया अगर नाबाद तिहरा शतक पूरा हो गया है। क्या अपने वीरेन्द्र सहवाग के पेट में दर्द हो रहा है या फिर अपने ब्रायन लारा को डर लगने लगा है कि कहीं उनका पांच सौ का रिकॉर्ड न टूट जाए। वैसे तुम जानते हो कि हम लिखेंगे तो पांच सौ क्या एक हजार रनों का भी रिकॉर्ड टूट सकता है। और रही बात यह सब बताने की तो इसमें बताने वाली क्या बात है। यह तो सबको दिख रहा है कि हमारी कितनी पोस्ट हो गई है। इस पर उसने तपाक से कहा अबे गधे तू कब सुधरेगा, आज के जमाने में बिना बताए किसी को कुछ मालूम नहीं होता है। और अगर मालूम होता भी है तो कोई बताता नहीं है। हमने कहा कि फिर तू क्यों राग अलाप रहा है कि हमारी पोस्ट का नाबाद तिहरा शतक हो गया है और लिखने की गाड़ी पूरी रफ्तार से दौड़ी जा रही है।
अरे यार तेरे से बात करना ही मूर्खता है। अबे में तूझे इसलिए बता रहा हूं क्योंकि कोई चाहे या न चाहे लेकिन मैं तेरा सबसे अच्छा और पुराना दोस्त होने के नाते चाह रहा हूं कि तू एक पोस्ट लिखे जिसमें यह बताए कि तेरी पोस्ट का नाबाद तिहरा शतक पूरा हो गया है। मैंने कहा कि अगर न लिखूं तो। उसने कहा कि कैसे नहीं लिखेगा बे.. जब सब लिखते हैं तो तूझे लिखने में क्या परेशानी है। मैंने कहा क्या जो सब लोग करते हैं वह करना जरूरी है। उसने कहा कि दिक्कत क्या है। हमने कहा कि दिक्कत-विक्कत कुछ नहीं है, यार तू तो जानता है कि मुझे यह सब पसंद नहीं आता है। तूझे क्या लगता है कि क्या मुझे मालूम नहीं था कि मेरी कब 100वीं पोस्ट खेलगढ़ में पूरी हुई फिर 200 वीं पोस्ट हुई अब खेलगढ़ ही तिहरे शतक की तरफ चल पड़ा है। राजतंत्र में भी शतक कुछ समय पहले पूरा हुआ है।
लेकिन इन बातों को बताने से फायदा क्या है। मित्र ने कहा फायदा-वायदा तो मैं नहीं जानता, लेकिन मैंने कई लोगों को देखा है बताते हुए कि आज की पोस्ट उनकी 100वीं पोस्ट है। बस मैं भी चाहता हूं कि तू भी ऐसा कर। लेकिन तू बताएगा इससे क्या होगा क्या? अरे यार तू अपने बारे में नहीं तो कम से कम मेरे बारे में तो सोच। जैसे मैं कॉलेज के जमाने में अपने मित्रों को बताता था कि देखो मेरे मित्र राजकुमार का लेख उस अखबार में छपा है या जब तुमने शुरू में अखबार में काम करना प्रारंभ किया था तब मैं कैसे दोस्तों को बताता था कि देख यार राजकुमार ने क्या मस्त रिपोर्ट छापी है। बस मैं चाहता हूं कि तू अपने ब्लाग के बारे में लिखे तो मैं आज भी उसी तरह से अपने दोस्तों तो यह बताऊं कि देखो मेरे दोस्त राजकुमार ने ब्लाग में पोस्ट का नाबाद तिहरा शतक पूरा कर लिया है। क्या तू अपने दोस्त की इतनी सी बात नहीं मान सकता है। चल ठीक है हम तेरी बात मान लेते हैं, लेकिन पहली और आखिर बार होगा, इसके बाद तू फिर मुझे यह मत कहना कि अब हम 400 और 500 पोस्ट होने की बात भी लिखूं। उसने कहा ठीक है न बे, पहले तू एक बार लिख तो सही।
अब दोस्त ने इतने अधिकार से यह बात कही थी तो लिखना ही था, सो हमने भी लिख दिया कि पोस्ट में हमारा नाबाद तिहरा हो चुका है और अभी हम ब्लाग की क्रीज पर टडे हुए हैं। वैसे आउट होने वाले बल्लेबाज तो हम हैं नहीं। हो सकता है कि किसी कारण से ब्रेक लेना पड़ जाए, वैसे अब तक ऐसी नौबात आई नहीं है। और भगवान न करे ऐसी नौबात आए। हम तो अपनी जिंदगी की अंतिम सांस तक कुछ ऐसा लिखने की तमन्ना रखते हैं जिससे किसी न किसी का भला हो। किसी का दिल दुखे ऐसी कोई पोस्ट हम कभी भी लिखना पसंद नहीं करेंगे।
11 टिप्पणियाँ:
आपके लेखन की गाड़ी तो सच में तेज रफ्तार से दौड़ रही है, बधाई
खुदा करें आपकी उंगलिया ताउम्र की-बोर्ड पर ऐसे ही चलती रहे, मुबारकबाद
आपकी यह बात बहुत अच्छी लगी कि आप जिंदगी की अंतिम सांस तक किसी के भी भले के लिए लिखना चाहते हैं। ऐसे लोग कहां मिलते हैं आज के स्वार्थी जमाने में
हमारी भी बधाई हो स्वीकार करें गुरु
आपका राजतंत्र और खेलगढ़ इसी तरह से पोस्ट की बरसात करता रहे यही कामना है
पोस्ट की तरह बारिश भी हो जाए तो गर्मी से कुछ निजात मिले, बधाई
आप तो जबरदस्त लिख्खाड हैं...तीसरे दशक की बधाई...जो शक्श सहवाग की तरह लेखन में उतर जाए उसके लिए तीसरा चौथा पांचवां शतक मामूली बात है...उम्मीद करते हैं की जल्द ही आपकी हजारवीं पोस्ट आये...आमीन.
नीरज
आपके उन मित्रों को भी बधाई जिन्होंने आपको पोस्ट के नाबाद तिहरे शतक की याद दिलाई
ऐसे ही लिखते रहे और समाज को जगाते रहे, बधाई
क्या स्टाईल में लिखेला है बिडू मजा आ गयेला अपनु भी बधाई देना मांगता
बहुत-बहुत बधाई
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