टोनही का आरोप लगाकर कर दी हत्या
छत्तीसगढ़ में सरकार द्वारा बनाए गए टोनही प्रताडऩा कानून के बाद भी लगातार प्रदेश में टोनही के नाम पर महिलाओं को प्रताडि़त करने का सिलसिला चल रहा है। इस कड़ी में बस्तर के आदिवासी अंचल में न सिर्फ एक महिला को लगातार साल भर से ज्यादा समय से प्रताडि़त किया जाता रहा, बल्कि अंत में उसे टोनही होने के संदेह में उसकी हत्या कर दी गई। मृतक महिला पर आरोप लगाया गया कि उसने अपने बेटे और भतीजे की जादू-टोने के माध्यम से जान ले ली है, जबकि दोनों बच्चों की मौत उल्टी दस्त से हुई है।
छत्तीसगढ़ में महिलाओं को टोनही के नाम से बरसों से प्रताडऩा का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश का शायद ही ऐसा कोई गांव होगा जहां पर टोनही की बातें नहीं होती हैं। किसी के घर में किसी की असमय मौत हो जाती है और आस-पास कोई थोड़ी सी भी संदिग्ध महिला रहती है तो उसे जरूर टोनही का दर्जा देकर प्रताडि़त किया जाता है। दूसरी महिलाओं की तो बातें ही छोड़ दे, अनपढ़ लोग तो अपने परिवार की ही महिलाओं को टोनही समझ कर उसकी हत्या तक कर डालते हैं। ऐसा ही एक मामला बस्तर के आदिवासी अंचल का सामने आया है। जगदलपुर से करीब 9 किलो मीटर दूर नगरनार थाने के अंतर्गत आने वाले गांव कलचा में एक महिला को उसके पति और रिश्तेदारों ने टोनही होने के संदेह में मार डाला। घटना कुछ इस प्रकार है कि मृतक महिला मंगल देई के पति हरीबंधु को इस बात का शक था कि उनकी 10 साल की पुत्री कलावती के साथ भाई की 9 साल की पुत्री बुधरी की मौत मंगल देई के जादू-टोने के कारण हुई है। ऐसे में हरीबंधु ने अपने अपने भाई कमलसाय और अन्य रिश्तेदारों के साथ मिलकर अपनी पत्नी मंगल देई की डंडों से पीट-पीटकर हत्या कर दी। मंगल देई बार-बार दुहाई देती रही कि उसने ऐसा नहीं किया है। वह बिलखती रही कि वह भला कैसे अपनी ही बेटी ही हत्या कर सकती है, पर संदेह मे पगलाए परिवार ने उसकी एक न सुनी और उसकी जान लेकर ही माने। हकीकत यह है कि दोनों बच्चों की मौत जादू-टोने से नहीं बल्कि उल्टी-दस्त से हुई है। लेकिन हरीबंधु का परिवार यह बात मानने को तैयार नहीं है। मंगल देई को तो पिछले एक साल से गांव भर में टोनही के आरोप में प्रताडि़त किया जाता रहा है। अब मंगल देई की मौत के बाद जहां गांव में मातम का माहौल है, वह ग्रामीण इस मामले में कुछ भी बताने को तैयार नहीं है।
महिला मंगल देई के पति हरीबंधु को इस बात का शक था कि उनकी 10 साल की पुत्री कलावती के साथ भाई की 9 साल की पुत्री बुधरी की मौत मंगल देई के जादू-टोने के कारण हुई है। ऐसे में हरीबंधु ने अपने अपने भाई कमलसाय और अन्य रिश्तेदारों के साथ मिलकर अपनी पत्नी मंगल देई की डंडों से पीट-पीटकर हत्या कर दी। मंगल देई बार-बार दुहाई देती रही कि उसने ऐसा नहीं किया है। वह बिलखती रही कि वह भला कैसे अपनी ही बेटी ही हत्या कर सकती है, पर संदेह मे पगलाए परिवार ने उसकी एक न सुनी और उसकी जान लेकर ही माने।
छत्तीसगढ़ में हुआ यह पहला मामला नहीं है। ऐसे मामले यदा-कदा होते रहते हैं। टोनही के संदेह में कई महिलाओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है। कई महिलाओं को तो टोनही के संदेह में गांव भर में कई बार नंगा भी घुमाया गया है। प्रदेश में टोनही प्रताडऩा का कानून होने के बाद भी सरकार अब तक टोनही के मामले में कोई खास सफलता प्राप्त नहीं कर सकी है। इस मामले में महिला आयोग जनजागरण अभियान भी चला रहा है, लेकिन गांव वाले अंधविश्वास से बाहर ही आना नहीं चाहते हैं। अनपढ़ों की बातें ही क्या पढ़े-लिखे लोग भी टोनही पर भरोसा करते हैं। टोनही क्या है कोई नहीं जानता है। अगर वास्तव में कोई टोनही जैसी चीज होती है तो शायद हमने भी उनके साथ कई बार रात में लंबा रोमांचक सफर तय किया है। हमें नहीं मालूम हमने जिनके साथ ऐसा सफर तय किया था वो क्या थीं लेकिन ऐसा सफर हमने जरूर किया था आप देंखे हमारी पोस्ट टोनहियों के साथ लंबा सफर
बहरहाल टोनही के बारे में लोग तरह-तरह की बातें बताते हैं, लेकिन जहां तक हमारा मानना है कि उसे किसी ने अब तक देखा नहीं होगा। हमने जो टोनही के बारे में सुना है उसके मुताबिक यह एक तंत्र साधना है जिसको सीखने वाली महिला को टोनही और पुरुष को टोनहा कहा जाता है। वैसे टोनहा के बारे में कम और टोनही के बारे में ज्यादा बातें होती हैं। इनके बारे में कुछ लोग कहते हैं कि यह रात को निकलती है और खेत-खलिहानों में ही विचरण करती है, यह कभी रोड को क्रास नहीं कर पाती है। दूर से वह जलती हुई दिखती है तो इसके बारे में लोग बताते हैं कि उसके मुंह से निकलने वाली लार ही आग के रूप में रहती है। इसी के साथ कहा जाता है कि वह जमीन से कुछ फीट ऊपर हवा में हवा की तरह ही चलती है। अब इन बातों में कितनी सच्चाई है हम भी नहीं जानते हैं। लेकिन हमको दो-तीन बार रात के सफर में ऐसे दृश्य देखने का मौका मिला है जिसके बारे में लोगों की सुनाई बातों से आधार पर हम कह सकते हैं कि हमने जिनको दूर से देखा था वो टोनही थी और हमने उनसे साथ एक रोमांचकारी सफर तय किया। अक्सर लोग गांवों में किसी से दुश्मनी से निकालने के लिए किसी पर भी टोनही होने का आरोप लगाकर उसके साथ कुछ भी कर लेते हैं। कई बार टोनही के नाम पर प्रताडऩा सीमाएं लांघ जाती हैं। जैसा की बस्तर में हुआ है कि टोनही के नाम पर एक महिला की हत्या ही कर दी गई। पता नहीं कब अपने देश के लोग ऐसे अंधविश्वासों से बाहर आएंगे।
12 टिप्पणियाँ:
जादू-टोना तो होता है, पर बिना किसी सबूत के किसी महिला की हत्या करना कहां का न्याय है। ऐसा अपराध करने वालों को फांसी की सजा देनी चाहिए।
टोनही के नाम से महिलाओं की ही हमेशा क्यों प्रताडि़त किया जाता, क्या पुरुषों को कभी टोनहा के नाम से प्रताडि़त करने की कोई खबर आई है।
टोनही के नाम पर महिलाओं को प्रताडि़त करने वालों को कड़ी सजा देनी चाहिए।
छत्तीसगढ़ की सरकार को ऐसे मामलों में कड़ा रूख अपनाना चाहिए
अफ़सोस है राजकुमार इस मामले मे कुछ हो नही पा रहा है।इस पर नियंत्रण के लिये बनी पुलिस की एक कमेटी का मै भी सदस्य हूं मगर तुम तो जान्ते ही हो यंहा का काम काज़्।
कब तक महिलाएं प्रताडि़त की जाती रहेंगी।
आज भी जादू टोने की बातें आश्चर्यचकित करती है...
किसी को शक के कारण मारना निंदनीय है।वैसे भी जो किसी का बुरा करता है उस का फल भी बुरा ही होता है जो उसी को भोगना पड़ता है।इस तरह की हत्या करने वालों पर कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए।
जब तक अशिक्षा रूपी दैत्य का दमन नहीं होगा....यह सिलसिला नहीं रोका जा सकेगा...केवल कानून किसी हालत में इसमें कारगर नहीं होगा.....
नेहा जी से सहमत हूँ.. आज तक ऐसी घटनाएं सिर्फ महिलाओं के खिलाफ ही सुनी है...
.... आज के युग में भी ऐसी बाते हैरानी की बात है..
प्रतिक्रिया में कुछ नहीं सिर्फ एक कविता टोनही अर्थात डायन पर -शरद कोकास
डायन
वे उसे डायन कहते थे
गाँव में आन पड़ी तमाम विपदाओं के लिए
वही जिम्मेदार थी
उनका आरोप था
उसकी निगाहें बुरी है
उसके देखने से बच्चे बीमार हो जाते है
गर्भ गिर जाते है
बाढ़ के अंदेशे है उसकी नज़रों में
उसके सोचने से अकाल आते है
उसकी कहानी थी
एक रात तीसरे पहर
वह नदी का जल लेने गई थी
ऐसी ख़बर थी की उसके तन पर उस वक्त
एक भी कपड़ा न था
सर सर फैली यह ख़बर
कानाफूसियों में बढती गई
एक दिन
डायरिया से हुई एक बच्चे की मौत पर
वह डायन घोषित कर दी गई
किसी ने कोशिश नही की जानने की
उस रात नदी पर क्यों गई थी वह
दरअसल अपने नपुंसक पति पर
नदी का जल छिड़ककर
ख़ुद पर लगा
बाँझ का कलंक मिटाने के लिए
यह तरीका उसने अपनाया था
रास्ता किसी चालाक मान्त्रिक ने सुझाया था
एक पुरूष के पुरुषत्व के लिए
दुसरे पुरूष द्वारा बताया गया यह रास्ता था
जो एक स्त्री की देह से होकर गुजरता था
उस पर काले जादू का आरोप लगाया गया
उसे निर्वस्त्र कर दिनदहाडे
गलियों बाज़ारों में घुमाया गया
बच्चों ने जुलूस का समां बंधा
पुरुषों ने वर्जित दृश्य का मज़ा लिया
औरतों ने शर्म से सर झुका लिए
एक टिटहरी ने पंख फैलाए
चीखती हुई आसमान में उड़ गई
न धरती फटी
न आकाश से वस्त्रों की बारिश हुई.
शरद जी
इतनी अच्छी कविता हमारे ब्लाग में डालने के लिए हम आपके आभारी है। इस तरह का प्यार और स्नेह सदा बनाए रखें।
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