पंगेबाज बने प्रिंस पहेली के सरताज
प्रिंस पहेली का तिलस्म तोडऩे में पंगेबाज सफल रहे और वे प्रिंस पहेली के सरताज बने। हमें ऐसा लगता था कि इस पहेली का तिलस्म तोडऩे में शायद ही कोई सफल होगा। कारण साफ था आज से करीब 23 साल पहले जब हम कॉलेज में थे तो इस पहेली का हल अच्छे-अच्छे प्रोफेसर नहीं बता पाए थे। यही वजह रही कि हमने एक सप्ताह का समय दिया है, हल के लिए। चलो अच्छा है कि आज हमारी ब्लाग बिरादरी इतनी ज्यादा समझदार है कि किसी भी तिलस्म को तोडऩे में वक्त नहीं लगाती है। इस पहेली के कारण कुछ हंसी-मजाक का भी माहौल बना।
उडऩ तश्तरी के भाई समीर लाल जी ने कहा- सी बी आई का मामला दिखता है. हमारी तो यही सलाह है कि आप भी हाथ न डालो. सालों साल का चक्कर बैठ जायेगा और उपर से लाई डिटेक्टर और ब्रेन मैपिंग का पंगा-पता चला पहेली के चक्कर में कोई दूसरा केस उगल आये तो अन्दर ही न हो जाओ.बात चीत करके मामला सलटा लो. कहाँ तौला ताली के चक्कर में पड़ रहे हो.
समीर लाल जी की इस बात का समर्थन किया अपने ताऊ रामपुरिया ने कहा कि- भाई जरा समीरजी की बात पर ध्यान दिया जाये.:)
अपने अनिवाश वाचस्पति ने हल करने के एवाज में एक सोने का हार ही मांग डाला। जब हमने उन्हें इससे ज्यादा कीमती प्यार और स्नेह का हार देने का ऑफर दिया तो उनका जवाब आया- मतलब चाहे जीतें पर आप देंगे हार ही फिर हम क्यों करें स्वीकार जी जीतकर पहनते तो क्या होता हमने हार कर पहन लिया हार जी जय हो मनता रहे रोजाना पहेलियों का त्योहार जी। कासिफ अरीफ ने कहा- क्या बात है आज कल सब पहेली ही पहेली पूछ रहें है...अभी मुड नही है बाद मे जवाब देंगे। और कई लोगों ने अपने-अपने अंदाज में अपनी बात कही।
गुरु ने हमेशा की तरह अपने अंदाज में कहा- बड़ी दूर की कौड़ी लाए हैं गुरु
भाई अनिल पुसदकर ने सबसे पहले यह कहते हुए किनारा कर लिया कि- तुम तो जानते हो राजकुमार गणितबाज़ी से अपन शुरू से ही दूर रहते आयें है।
वाकई अपने अनिल जी गणितबाजी से दूर ही रहने वाले प्राणी है। बहरहाल प्रिंस पहेली के कारण कुछ हंसी-मजाक का माहौल तो बना। वैसे भी हंसी की फसल आज के जमाने में उगती कहा है। और इंसान किसी को हंसाने का काम करे उससे अच्छा इंसान तो इस दुनिया में हो नहीं सकता है। चलिए फिर मौका मिला तो प्रिंस पहेली में ऐसा ही कोई सवाल फिर से दागा जाएगा और देखेंगे कि कौन तोड़ेगा उस सवाल का तिलस्म। फिलहाल तो पंगेबाज को दी जाए बधाई जिन्होंने एक सप्ताह से सस्पेंस को एक दिन में ही समाप्त कर दिया। बहुत-बहुत बधाई भाई पंगेबाज। उम्मीद है आप इसी तरह से पंगे लेते रहेंगे और मचलते रहेंगे।
चलते-चलते सही जवाब पर नजरें डाल लें जो पंगेबाज ने दिया है-
पहले सुनार का एक, दूसरे के दो, तीसरे के तीन, चौथे के चार, पांचवे के पांच, छठवे के छ्ह, सातवें के सात, आठवे के आठ नवें के नौ और दसवें के दस हार लेकर एकसाथ तौल लोकुल हार हुए 55 यानी कुल वजन होना चाहिये 550 तोला...यदि इसका वजन 549 आये तो पहला, 548 तो दूसरा, 547 तो तीसरा, 546 तो चौथा, 545 तो पांचवा, 544 तो छठा, 543 तो सातवां, 542 तो आठवां, 541 तो नवां, 540 तो दसवां सुनार बेईमान है
पहले सुनार का एक, दूसरे के दो, तीसरे के तीन, चौथे के चार, पांचवे के पांच, छठवे के छ्ह, सातवें के सात, आठवे के आठ नवें के नौ और दसवें के दस हार लेकर एकसाथ तौल लोकुल हार हुए 55 यानी कुल वजन होना चाहिये 550 तोला...यदि इसका वजन 549 आये तो पहला, 548 तो दूसरा, 547 तो तीसरा, 546 तो चौथा, 545 तो पांचवा, 544 तो छठा, 543 तो सातवां, 542 तो आठवां, 541 तो नवां, 540 तो दसवां सुनार बेईमान है
20 टिप्पणियाँ:
पंगेबाज हुए पहेलीबाज
बाज बाज ही रहा
बाज ही रहना चाहिए
बाजा अवश्य बजना चाहिए
जीत का
बजा सकते हैं ढोल भी।
पंगेबाज का पहेलीबाज बनना
एक इंटरव्यू की दरकार रखता है
राजकुमार जी से दरख्वास्त है
एक साक्षात्कार लें
और पहेली हल करने के
सारे गुर पूछ लें
और इंटरव्यू प्रकाशित कर दें
।
इस हुनर का मिलना चाहिए
लाभ सभी को
तभी तो इस कला का होगा विकास
यही रखना चाहते हैं सब आस।
आप पूछते रहें
वे बताते रहें
बाकी सब भाग्य
अपना आजमाते रहें।
बधाई हो पंगेबाज को और आपको भी।देखना कभी मौका मिले तो अपनी यूनिवर्सिटी टाईप पास कर देना ।
क्या बात है.. बहुत मजेदार सवाल और जबाब..
चलो प्रिंस पहेली के बहाने कुछ तो हंसी के फुहारे फूटे, विजेता को बधाई
अच्छी चर्चा की है गुरु
विस्तार से चर्चा की आपने, पंगेजाज को बधाई
ब्लाग जगत में इस तरह से हंसी-मजाक चलता रही यही खुदा से दुआ करते हैं।
पंगेजाज को बधाई
पंगेजाज को बधाई
बधाई हो भाई पंगेबाज जो आप बने प्रिंस पहेली के सरताज
जब बात सुनारों की हो तो हम वैसे ही उनसे दूर रहते हैं...पंगा लेने का तो सवाल ही नहीं उठता..
नीरज
मुबारकबाद देते हैं जनाब
बधाई दिल से
यह शुद्ध बधाई है
इसमें पहेली नहीं
मिलाई है
पंगेबाज जी को बहुत बहुत बधाइयाँ। जो हल खोजना चाहता है वह पा लेता है। बाकी लोग तो गणित के पचड़े में ही न पड़े।
आपकी अगली प्रिंस पहेली का इंतजार रहेगा
पंगेबाज जी मक्खी मार कर बहुत गणित लग ले रहे है। बधाई जो मिली सो अगल :)
बधाइ के लिये आभार, भाई मै गणित तो नही जानता लेकिन बेइमान को छाटना अच्छी तरह से जानता हू
ये आप सब इतना घुमा फिर कर गणित के बात
क्यूँ करते हैं आधे ब्लॉगर बिचारे जोड़ने और घटा
ने मे ही ब्लॉग नहीं लिख पा रहे हैं साफ़ साफ़
लिखा जाए ताकि सब को समझ आये विनर्म
आग्रह
Rachna
पंगेबाज को हार्दिक बधाई. तालियाँ.
वाह वाह बधाई हो बधाई
पंगेबाज भाई
क्या खूब अकल लड़ाई।
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