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गुरुवार, जून 25, 2009

पंगेबाज बने प्रिंस पहेली के सरताज

प्रिंस पहेली का तिलस्म तोडऩे में पंगेबाज सफल रहे और वे प्रिंस पहेली के सरताज बने। हमें ऐसा लगता था कि इस पहेली का तिलस्म तोडऩे में शायद ही कोई सफल होगा। कारण साफ था आज से करीब 23 साल पहले जब हम कॉलेज में थे तो इस पहेली का हल अच्छे-अच्छे प्रोफेसर नहीं बता पाए थे। यही वजह रही कि हमने एक सप्ताह का समय दिया है, हल के लिए। चलो अच्छा है कि आज हमारी ब्लाग बिरादरी इतनी ज्यादा समझदार है कि किसी भी तिलस्म को तोडऩे में वक्त नहीं लगाती है। इस पहेली के कारण कुछ हंसी-मजाक का भी माहौल बना।


उडऩ तश्तरी के भाई समीर लाल जी ने कहा- सी बी आई का मामला दिखता है. हमारी तो यही सलाह है कि आप भी हाथ न डालो. सालों साल का चक्कर बैठ जायेगा और उपर से लाई डिटेक्टर और ब्रेन मैपिंग का पंगा-पता चला पहेली के चक्कर में कोई दूसरा केस उगल आये तो अन्दर ही न हो जाओ.बात चीत करके मामला सलटा लो. कहाँ तौला ताली के चक्कर में पड़ रहे हो.

समीर लाल जी की इस बात का समर्थन किया अपने ताऊ रामपुरिया ने कहा कि- भाई जरा समीरजी की बात पर ध्यान दिया जाये.:)
अपने अनिवाश वाचस्पति ने हल करने के एवाज में एक सोने का हार ही मांग डाला। जब हमने उन्हें इससे ज्यादा कीमती प्यार और स्नेह का हार देने का ऑफर दिया तो उनका जवाब आया- मतलब चाहे जीतें पर आप देंगे हार ही फिर हम क्‍यों करें स्‍वीकार जी जीतकर पहनते तो क्‍या होता हमने हार कर पहन लिया हार जी जय हो मनता रहे रोजाना पहेलियों का त्‍योहार जी। कासिफ अरीफ ने कहा- क्या बात है आज कल सब पहेली ही पहेली पूछ रहें है...अभी मुड नही है बाद मे जवाब देंगे। और कई लोगों ने अपने-अपने अंदाज में अपनी बात कही।
गुरु ने हमेशा की तरह अपने अंदाज में कहा- बड़ी दूर की कौड़ी लाए हैं गुरु
भाई अनिल पुसदकर ने सबसे पहले यह कहते हुए किनारा कर लिया कि- तुम तो जानते हो राजकुमार गणितबाज़ी से अपन शुरू से ही दूर रहते आयें है।
वाकई अपने अनिल जी गणितबाजी से दूर ही रहने वाले प्राणी है। बहरहाल प्रिंस पहेली के कारण कुछ हंसी-मजाक का माहौल तो बना। वैसे भी हंसी की फसल आज के जमाने में उगती कहा है। और इंसान किसी को हंसाने का काम करे उससे अच्छा इंसान तो इस दुनिया में हो नहीं सकता है। चलिए फिर मौका मिला तो प्रिंस पहेली में ऐसा ही कोई सवाल फिर से दागा जाएगा और देखेंगे कि कौन तोड़ेगा उस सवाल का तिलस्म। फिलहाल तो पंगेबाज को दी जाए बधाई जिन्होंने एक सप्ताह से सस्पेंस को एक दिन में ही समाप्त कर दिया। बहुत-बहुत बधाई भाई पंगेबाज। उम्मीद है आप इसी तरह से पंगे लेते रहेंगे और मचलते रहेंगे।

चलते-चलते सही जवाब पर नजरें डाल लें जो पंगेबाज ने दिया है-

पहले सुनार का एक, दूसरे के दो, तीसरे के तीन, चौथे के चार, पांचवे के पांच, छठवे के छ्ह, सातवें के सात, आठवे के आठ नवें के नौ और दसवें के दस हार लेकर एकसाथ तौल लोकुल हार हुए 55 यानी कुल वजन होना चाहिये 550 तोला...यदि इसका वजन 549 आये तो पहला, 548 तो दूसरा, 547 तो तीसरा, 546 तो चौथा, 545 तो पांचवा, 544 तो छठा, 543 तो सातवां, 542 तो आठवां, 541 तो नवां, 540 तो दसवां सुनार बेईमान है

20 टिप्पणियाँ:

विनोद गुरु जून 25, 09:37:00 am 2009  

पंगेबाज हुए पहेलीबाज
बाज बाज ही रहा
बाज ही रहना चाहिए
बाजा अवश्‍य बजना चाहिए
जीत का
बजा सकते हैं ढोल भी।

पंगेबाज का पहेलीबाज बनना
एक इंटरव्‍यू की दरकार रखता है
राजकुमार जी से दरख्‍वास्‍त है
एक साक्षात्‍कार लें
और पहेली हल करने के
सारे गुर पूछ लें
और इंटरव्‍यू प्रकाशित कर दें


इस हुनर का मिलना चाहिए
लाभ सभी को
तभी तो इस कला का होगा विकास
यही रखना चाहते हैं सब आस।

आप पूछते रहें
वे बताते रहें
बाकी सब भाग्‍य
अपना आजमाते रहें।

Anil Pusadkar गुरु जून 25, 09:40:00 am 2009  

बधाई हो पंगेबाज को और आपको भी।देखना कभी मौका मिले तो अपनी यूनिवर्सिटी टाईप पास कर देना ।

रंजन गुरु जून 25, 09:44:00 am 2009  

क्या बात है.. बहुत मजेदार सवाल और जबाब..

Unknown गुरु जून 25, 09:52:00 am 2009  

चलो प्रिंस पहेली के बहाने कुछ तो हंसी के फुहारे फूटे, विजेता को बधाई

guru गुरु जून 25, 09:53:00 am 2009  

अच्छी चर्चा की है गुरु

Unknown गुरु जून 25, 10:24:00 am 2009  

विस्तार से चर्चा की आपने, पंगेजाज को बधाई

asif ali,  गुरु जून 25, 10:25:00 am 2009  

ब्लाग जगत में इस तरह से हंसी-मजाक चलता रही यही खुदा से दुआ करते हैं।

Gyan Darpan गुरु जून 25, 11:13:00 am 2009  

पंगेजाज को बधाई

atul kumar,  गुरु जून 25, 11:22:00 am 2009  

पंगेजाज को बधाई

Unknown गुरु जून 25, 12:39:00 pm 2009  

बधाई हो भाई पंगेबाज जो आप बने प्रिंस पहेली के सरताज

नीरज गोस्वामी गुरु जून 25, 12:51:00 pm 2009  

जब बात सुनारों की हो तो हम वैसे ही उनसे दूर रहते हैं...पंगा लेने का तो सवाल ही नहीं उठता..
नीरज

m.anvar,  गुरु जून 25, 12:53:00 pm 2009  

मुबारकबाद देते हैं जनाब

अविनाश वाचस्पति गुरु जून 25, 02:04:00 pm 2009  

बधाई दिल से
यह शुद्ध बधाई है
इसमें पहेली नहीं
मिलाई है

दिनेशराय द्विवेदी गुरु जून 25, 02:57:00 pm 2009  

पंगेबाज जी को बहुत बहुत बधाइयाँ। जो हल खोजना चाहता है वह पा लेता है। बाकी लोग तो गणित के पचड़े में ही न पड़े।

Unknown गुरु जून 25, 03:26:00 pm 2009  

आपकी अगली प्रिंस पहेली का इंतजार रहेगा

Pramendra Pratap Singh गुरु जून 25, 04:37:00 pm 2009  

पंगेबाज जी मक्खी मार कर बहुत गणित लग ले रहे है। बधाई जो मिली सो अगल :)

Arun Arora गुरु जून 25, 04:42:00 pm 2009  

बधाइ के लिये आभार, भाई मै गणित तो नही जानता लेकिन बेइमान को छाटना अच्छी तरह से जानता हू

बेनामी,  गुरु जून 25, 06:03:00 pm 2009  

ये आप सब इतना घुमा फिर कर गणित के बात
क्यूँ करते हैं आधे ब्लॉगर बिचारे जोड़ने और घटा
ने मे ही ब्लॉग नहीं लिख पा रहे हैं साफ़ साफ़
लिखा जाए ताकि सब को समझ आये विनर्म
आग्रह
Rachna

Udan Tashtari गुरु जून 25, 09:21:00 pm 2009  

पंगेबाज को हार्दिक बधाई. तालियाँ.

विवेक रस्तोगी गुरु जून 25, 10:33:00 pm 2009  

वाह वाह बधाई हो बधाई
पंगेबाज भाई
क्या खूब अकल लड़ाई।

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