मुख्यमंत्री से मिलना सहज-अधिकारी हैं निर्लज
छत्तीसगढ़ के राजा यानी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निवास में पूरे प्रदेश से काफी दूर-दूर से गरीब और असहाय लोग अपनी फरियाद लेकर आए हैं और मुख्यमंत्री के सामने अपनी समस्याएं रख रहे हैं। मुख्यमंत्री उनको सुनने के बाद जिनका निवारण तत्काल हो सकता है कर रहे हैं बाकी के लिए संबंधित अधिकारियों तक कागज चले जाते हैं। यह नजारा हर गुरुवार को जनदर्शन कार्यक्रम में नजर आता है। एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं जो बड़ी सहजता से कम से कम सप्ताह में एक दिन प्रदेश की जनता को मिल तो जाते हैं, लेकिन दूसरी तरफ अगर कोई अपनी शिकायत या फिर छोटा सा काम लेकर जिले के राजा यानी कलेक्टर के पास जाता है तो कलेक्टर से मिलना किसी के लिए आसान नहीं होता है। कलेक्टर के दफ्तरों में उन्हीं शिकायतों पर ध्यान दिया जाता है जिन शिकायतों के पत्रों में सांसदों या फिर विधायकों के हस्ताक्षर रहते हैं या फिर उनके पत्र रहते हैं। कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में यह नजारा है कि मुख्यमंत्री से मिलना जितना सहज है अधिकारियों से मिलना उतना ही कठिन है, कारण साफ है कि अधिकारी तो पूरी तरह से निर्लज हो गए हैं। उनको अपने मुख्यमंत्री को देखकर भी शर्म नहीं आती है।
प्रदेश में एक बार फिर से भाजपा की सरकार बनी है तो इसके पीछे सबसे बड़ा कारण प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की वह छवि रही है जिसके कारण से भाजपा को सत्ता में वापस आने का मौका मिला है। यह बात भाजपा भी जानती थी कि अगर डॉ. रमन सिंह के स्थान पर और किसी को सीएम प्रमोट किया जाता तो भाजपा का यहां बाजा बज जाता। ऐसा नहीं हुआ और एक बार फिर से छत्तीसगढ़ के राजा डॉ. रमन सिंह हंै। रमन सिंह ने अपनी दूसरी पारी में भी अपना वह काम बरकरार रखा है जिसके कारण उनको प्रदेश की जनता ने फिर से अपना राजा माना है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि प्रदेश में रमन सिंह ने जिस तरह से ग्राम सुराज अभियान चलाया है और गांव-गांव जाकर पेड़ों के नीचे चौपाल लगाकर लोगों की समस्याएं सुनीं हैं और उन समस्याओं का तत्काल निवारण भी किया है जिसके कारण उनकी छवि जनता के बीच में काफी अच्छी बनी है। रमन सिंह अपनी इस छवि को बनाए रखने का काम कर भी रहे हैं। आज उनके जनदर्शन कार्यक्रम में जितनी भीड़ लगती है और जिस सहजता से वे लोगों से मिलते हैं, उसकी तारीफ ही करनी होगी। वैसे अगर जनता ने आपको मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया है तो आपको जनता की फरियाद तो सुननी ही चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो जनता आपको नकारने से पीछे नहीं रहेगी। इस बात को कम से कम रमन सिंह जरूर अच्छी तरह से जानते हैं।
अब यह अपने राज्य का दुर्भाग्य है कि जिस राज्य के मुखिया इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि उनको राज्य की जनता की फरियाद सुननी चाहिए, उस राज्य के अधिकारी इस बात को बिलकुल नहीं मानते हैं कि उनको जनता के काम आना चाहिए। आज देश के हर विभाग का हर अधिकारी लगता है यह बात भूल गया है कि उनको जनता के भले के लिए ही किसी भी पद पर बिठाया गया है, लेकिन वे जनता का भला कम और अपना भला ज्यादा करने में लग गए हैं। अब अधिकारी अपना भला कैसे करते हैं यह अलग मुद्दा है और इस पर लंबी-चौड़ी बहस हो सकती है। फिलहाल बात यह है कि जिस राज्य का मुख्यमंत्री आम जनता को आसानी से उपलब्ध हो जाता है, उस राज्य में एक कलेक्टर से मिलना किसी भी आदमी के लिए काफी मुश्किल काम है। अगर कलेक्टर के पास आपको कोई काम कराने जाना है तो मजाल है कि वह आपको आसानी से मिल जाएं।
कलेक्टर सहित ऐसे किसी भी अधिकारी का जनता से मिलने का कोई समय नहीं है जिनका जनता से सीधेे सरोकार है। कई बार चक्कर लगाने के बाद यदि कलेक्टर महोदय दफ्तर में होंगे भी तो कोई आम गरीब आदमी उन तक अपनी फरियाद लेकर जा भी नहीं सकता है। प्रदेश के हर जिले के कलेक्टरों के दफ्तरों में शिकायतों का इतना अंबार रहता है जिसकी कोई सीमा नहीं है। इन शिकायतों में से महज चंद उन्हीं शिकायतों पर कार्रवाई हो पाती है जिन शिकायतों के पत्रों में सांसद या फिर विधायकों के हस्ताक्षर होते हैं या फिर उनके पत्र साथ रहते हैं। कुल मिलाकर यही बात लगती है कि अपने राज्य के सारे अधिकारी निर्लज हैं, उनको इस बात से शर्म भी नहीं आती है कि जिस राज्य के मुख्यमंत्री सीधे जनता से बात करने का काम करते हैं, उसी राज्य में वे जनता से सीधे मुंह बात करना तो दूर उनको उपलब्ध भी नहीं होते हैं। मुख्यमंत्री को तो ऐसे सारे अधिकारियों को अपने जनदर्शन की तरह ही दरबार लगाने के निर्देश देने चाहिए ताकि किसी भी गरीब की समस्या का निवारण तत्काल हो सके। अगर ऐसा हो गया तो फिर छत्तीसगढ़ एक मिसाल कायम कर देगा।
प्रदेश में एक बार फिर से भाजपा की सरकार बनी है तो इसके पीछे सबसे बड़ा कारण प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की वह छवि रही है जिसके कारण से भाजपा को सत्ता में वापस आने का मौका मिला है। यह बात भाजपा भी जानती थी कि अगर डॉ. रमन सिंह के स्थान पर और किसी को सीएम प्रमोट किया जाता तो भाजपा का यहां बाजा बज जाता। ऐसा नहीं हुआ और एक बार फिर से छत्तीसगढ़ के राजा डॉ. रमन सिंह हंै। रमन सिंह ने अपनी दूसरी पारी में भी अपना वह काम बरकरार रखा है जिसके कारण उनको प्रदेश की जनता ने फिर से अपना राजा माना है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि प्रदेश में रमन सिंह ने जिस तरह से ग्राम सुराज अभियान चलाया है और गांव-गांव जाकर पेड़ों के नीचे चौपाल लगाकर लोगों की समस्याएं सुनीं हैं और उन समस्याओं का तत्काल निवारण भी किया है जिसके कारण उनकी छवि जनता के बीच में काफी अच्छी बनी है। रमन सिंह अपनी इस छवि को बनाए रखने का काम कर भी रहे हैं। आज उनके जनदर्शन कार्यक्रम में जितनी भीड़ लगती है और जिस सहजता से वे लोगों से मिलते हैं, उसकी तारीफ ही करनी होगी। वैसे अगर जनता ने आपको मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया है तो आपको जनता की फरियाद तो सुननी ही चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो जनता आपको नकारने से पीछे नहीं रहेगी। इस बात को कम से कम रमन सिंह जरूर अच्छी तरह से जानते हैं।
अब यह अपने राज्य का दुर्भाग्य है कि जिस राज्य के मुखिया इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि उनको राज्य की जनता की फरियाद सुननी चाहिए, उस राज्य के अधिकारी इस बात को बिलकुल नहीं मानते हैं कि उनको जनता के काम आना चाहिए। आज देश के हर विभाग का हर अधिकारी लगता है यह बात भूल गया है कि उनको जनता के भले के लिए ही किसी भी पद पर बिठाया गया है, लेकिन वे जनता का भला कम और अपना भला ज्यादा करने में लग गए हैं। अब अधिकारी अपना भला कैसे करते हैं यह अलग मुद्दा है और इस पर लंबी-चौड़ी बहस हो सकती है। फिलहाल बात यह है कि जिस राज्य का मुख्यमंत्री आम जनता को आसानी से उपलब्ध हो जाता है, उस राज्य में एक कलेक्टर से मिलना किसी भी आदमी के लिए काफी मुश्किल काम है। अगर कलेक्टर के पास आपको कोई काम कराने जाना है तो मजाल है कि वह आपको आसानी से मिल जाएं।
कलेक्टर सहित ऐसे किसी भी अधिकारी का जनता से मिलने का कोई समय नहीं है जिनका जनता से सीधेे सरोकार है। कई बार चक्कर लगाने के बाद यदि कलेक्टर महोदय दफ्तर में होंगे भी तो कोई आम गरीब आदमी उन तक अपनी फरियाद लेकर जा भी नहीं सकता है। प्रदेश के हर जिले के कलेक्टरों के दफ्तरों में शिकायतों का इतना अंबार रहता है जिसकी कोई सीमा नहीं है। इन शिकायतों में से महज चंद उन्हीं शिकायतों पर कार्रवाई हो पाती है जिन शिकायतों के पत्रों में सांसद या फिर विधायकों के हस्ताक्षर होते हैं या फिर उनके पत्र साथ रहते हैं। कुल मिलाकर यही बात लगती है कि अपने राज्य के सारे अधिकारी निर्लज हैं, उनको इस बात से शर्म भी नहीं आती है कि जिस राज्य के मुख्यमंत्री सीधे जनता से बात करने का काम करते हैं, उसी राज्य में वे जनता से सीधे मुंह बात करना तो दूर उनको उपलब्ध भी नहीं होते हैं। मुख्यमंत्री को तो ऐसे सारे अधिकारियों को अपने जनदर्शन की तरह ही दरबार लगाने के निर्देश देने चाहिए ताकि किसी भी गरीब की समस्या का निवारण तत्काल हो सके। अगर ऐसा हो गया तो फिर छत्तीसगढ़ एक मिसाल कायम कर देगा।
6 टिप्पणियाँ:
अधिकारी तो पूरे देश के ऐसे ही होते हैं। अधिकारी सुधर जाए तो इस देश का भला हो जाए। लेकिन ऐसा होना मुमकिन लगता नहीं है।
हर राज्य के मुख्यमंत्री को डॉ. रमन सिंह की तरह जनता की समस्याओं को समझने वाला होना चाहिए।
मुख्यमंत्री को तो ऐसे सारे अधिकारियों को अपने जनदर्शन की तरह ही दरबार लगाने के निर्देश देने चाहिए ताकि किसी भी गरीब की समस्या का निवारण तत्काल हो सके। अगर ऐसा हो गया तो फिर छत्तीसगढ़ एक मिसाल कायम कर देगा।
यह बात बिलकुल ठीक लिखी है आपने, मुख्यमंत्री को ऐसी पहल करनी ही चाहिए।
चलिए आपके राज्य के मुख्यमंत्री तो इतने सहज है कि जनता से मिल लेते हैं। इनकी सहजता को सलाम करते हैं।
प्रेरणाप्रद लेख है, बधाई
achhi baat !
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