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रविवार, जून 14, 2009

पापी पेट के लिए....

खल्लारी में माता के दरबार में जाने वाली सीढिय़ों के पास बैठा यह सूरदास भरी गर्मी में भी लगातार भजन ही नहीं हर तरह के गाने गाकर वहां आने वालों का मनोरंजन कर रहा था। इस सूरदास को भी बस चाह थी चंद सिक्कों की ताकि वो अपना पापी पेट भर सके। ऐसे में वह ऐसे गानों से भी परहेज नहीं कर रहा था जो गाने आमतौर पर सूरदास गाते नहीं हैं। कुछ युवक इस सूरदास से छत्तीसगढ़ गानों की फरमाइश करके उससे गाने सुन रहे थे।

5 टिप्पणियाँ:

RAJNISH PARIHAR रवि जून 14, 04:13:00 pm 2009  

एक भूखा गरीब आदमी और करे भी तो क्या?उन्हें तो कैसे ना कैसे पेट भरना ही है..

अजय कुमार झा रवि जून 14, 04:36:00 pm 2009  

भूख जो न करवाए ऊपर से दृष्टिपात..उनसे तो अछा ही है जो आँखें होते हुए भी ..पता नहीं कौन कौन से आप कर रहे हैं..

racna,  रवि जून 14, 05:17:00 pm 2009  

अब पेट भरना है तो कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा। अगर फिल्मी गानों से पेट भरने का जुगाड़ हो जाए तो सूरदास जी ऐसे गानों का शुक्रिया ही अदा करेंगे।

Unknown रवि जून 14, 05:20:00 pm 2009  

तस्वीर के साथ उसकी हेडिंग जानदार है, बधाई

ajay saxena रवि जून 14, 08:16:00 pm 2009  

क्या शानदार फोटो है..

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